Thursday 21 June 2012

Madness.....

पागलपन क्या है ???

मरते मारते इस जहाँ में ट्रिगेर पर ऊँगली रख कर किसी इंसान को दो पल में मुर्दा बना देने का एहसास या फिर किसी से इस तरह बेंतेहान प्यार करना की उसके बिना जीने की ख्वाहिश ही न होने का एहसास?

पागलपन क्या है??

नफरत से भरी इस दुनिया में किसी को बेमतलब बेईज्ज़त करने का एहसास या फिर प्यार से देखती उस एक नज़र को धुत्कारने का एहसास?

ऊपर वाले के बनाये इस धरती को जन्नत बनाने की फ़िराक में पल पल दोझ्क बनाने को पागलपन कहते हैं की जात पात और मज़हब के नाम पर दो दिलों को बाँट देने को पागलपन कहते हैं? दूसरों के मूह से निवाला छीन लेने को पागलपन कहते हैं की घर आये उस जरूरतमंद को डांट के भगा देने को पागलपन कहते हैं ?

पागलपन क्या है??

पागलपन एक एहसास है जो किसी की जान बचाने के लिए बन्दूक की नली के सामने खरे हो जाने पर आता है. यह एक वोह एहसास है जो किसी के चले जाने के बाद उसके खुशियों के लिए दुआ मांगने में आता है. ज़ात पात तो बहुत कर लिया अब दो दिलों को जोरने के हसास को पागलपन कहते हैं. किसी चेहरे को खुशियों से सुर्ख कर देने के एहसास को पागलपन कहते हैं और खुद भूके रह कर भी किसी भूके को तृप्त करने को पागलपन कहते हैं. ज़िन्दगी में हर ख़ुशी मिल जाए तो जीने का क्या मज़ा है. ज़िन्दगी जीने के लिए उस एक कमी को खोजने के एहसास को पागलपन कहते हैं. आँखों से बह चले उस आँशु की धार को पोछ लेने के एहसास को पागलपन कहते हैं न की उस आँशु का कारण बनने को. बिना किसी रोक टोक बहती हवाओं के गोद में बहते चले जाने को पागलपन कहते हैं न की उस बहती हवा को अपने मुट्ठी में क़ैद करने के कवायत को.

और लोग मुझे पागल कहते हैं. में हँसता हूँ और हँसते हँसते रो देता हूँ और लोग मुझे पागल कहते हैं. दिल टूट जाने पर भी बिना चेहरे पर दर्द का एक शिकन लाये आगे बढ़ता हूँ फिर भी लोग मुझे पागल कहते हैं. और आगे क्या कहूँ लोग मुझे पागल कहते हैं और इस दुनिया में पागल की सुनता कौन है?